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Dinesh Soni

Dinesh Soni

Personal info

Dinesh Soni

Hello Friends, i am a studying M.B.B.S. I know that health is a very personal, private subject, and we maintain Every POst strict privacy policy in Whole Site.

Birthday: 24 Feb 1993
Website: www.healthylifeandshape.blogspot.com
E-mail: dsdineshsoni93@gmail.com

Health Is Wealth

Some Daily Tips For Healthy Life


Womens Health

  • 2016-future

    Tips For Woman

    Women's Health is for the woman who wants to reach a healthy, attractive weight but doesn't equate that with having thighs the size of toothpicks. We know that exercising and eating well will make you happier and stronger.

  • 2011-2014

    Health Benefits of Yoga

    Yoga increases flexibility and reduces stress, but the practice can do more than help you twist your body into pretzel shapes and find inner peace. These hidden benefits will help you in the kitchen, office and bedroom.

  • 2009-2011

    Benefits of Exercise

    Combining exercise with a healthy diet is a more effective way to lose weight than depending on calorie restriction alone. Exercise can prevent or even reverse the effects of certain diseases. Exercise lowers blood pressure and cholesterol, which may prevent a heart attack.

How Much Calories You Need

  • 2015

    Amount of Calories You Burn

    The average adult male who doesn’t exercise requires approximately 2,200 calories a day to maintain his average weight. A female needs about 1,800 calories to maintain her weight.So Eat Healthy and Do Exercise Daily.

  • 2013-2014

    Load up on vitamin C @

    We need at least 90 mg of vitamin C per day and the best way to get this is by eating at least five servings of fresh fruit and vegetables every day. So hit the oranges and guavas.

  • 2009-2013

    Laugh and cry @

    Having a good sob is reputed to be good for you. So is laughter, which has been shown to help heal bodies, as well as broken hearts. Studies in Japan indicate that laughter boosts the immune system and helps the body shake off allergic reactions.

Top 6 Rules of healthy Life

Daily Workout
Add variety
Healthy Diet
Get good sleep
Eat Vitamins Food
Drink Enough Water

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Friday 29 January 2016

Ankurit anaaj ke fayade ( health benefits of sprouts )

Ankurit anaaj ke fayade ( health benefits of sprouts )

अंकुरित अनाज
परिचय-

किसी भी अनाज, गिरी तथा बीज आदि को अंकुरित करने का एक सीधा-सा तरीका है- इसके लिए अनाज को 12 घंटे तक पानी में भिगोने के बाद छानकर एक कपड़े में बांध लें। लेकिन इसके लिए तीन नियमों का पालन करना जरूरी हैं- पहला भिगोने के बाद पानी हटाना, दूसरा पानी हटाने के बाद हवा लगाना और तीसरा अंधेरा। मूंगफली में 12 घंटे में अंकुर फूटते हैं,चना 24 घंटे में और गेहूं आदि 36 घंटे में अंकुरित होते हैं। वैसे तो अंकुरित अनाजों को कच्चा ही खाना चाहिए लेकिन यदि उन्हे स्वादिष्ट बनाना है तो उनमें थोड़ी मूंगभिगोकर मिला दें। फिर उसमें हरा धनिया, टमाटर,अदरक और प्याज मिला लें!



यदि उसमें चना मिलाना चाहे तो मिला सकते हैं लेकिन बिल्कुल थोड़ी मात्रा में। अब प्रश्न उठता है कि इन्हे अलग-अलग भिगोएं या एक साथ। इसे अलग-अलग भिगोना अच्छा है जैसे- आपने चना भिगोया और उसके साथ मूंग भी भिगो दी लेकिन दोनों के अंकुरित होने का समय अलग-अलग है। ऐसे में मूंग पहले ही अंकुरित हो जाएगा, लेकिन चना नहीं हो पाएगा। यदि चने के साथ मूंग को 24 घंटे छोड़ते हैं तो मूंग का अंकुर अधिक लम्बा हो जाएगा और उसका न्यूट्रेशन कम हो जाएगा। जिनका अंकुरण समय एक समान हो उन अनाजों को एक साथ भिगो सकते हैं।

अंकुरित आहार लेने का फायदा-

इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें वेस्टेज नहीं होता जिसके कारण उसे निकालने के लिए शरीर को अनावश्यक एनर्जी नहीं लगानी पड़ती। शरीर में वेस्टेज न होने से एनर्जी शरीर की सफाई में लग जाती है जिससे सारे शरीर की सफाई हो जाती है। इससे रोग पैदा होने का जो भी कारण है वह शरीर से बाहर निकल जाता है।

उदाहरण- किसी को हार्ट ब्लॉकेज है तो उसको पूर्ण रूप से नैचुरल डाईट पर डाल दें। इससे उसके हार्ट की सारी ब्लॉकेज खुल जाएगी। किडनी प्रॉब्लम में क्या होता है कि जब 50 या 60 प्रतिशत किडनी खराब हो चुकी होती है तब उसके बारे में पता लग पाता है और जब टैस्ट करवाया जाता है तो पता चलता है कि 20 या 30 प्रतिशत ही किडनी काम कर रही है।

इस प्रॉब्लम का ट्रीटमेंट प्राकृतिक चिकित्सा से करें और नैचुरल डाईट लें। इससे शरीर में बाहर से कोई वेस्टेज नहीं जाएगा जिससे किडनी का कार्य कम हो जाएगा अर्थात उस वेस्टेज को निकालने के लिए किडनी को कम काम करना पड़ेगा। नैचुरल डाईट से वेस्टेज नहीं बन पाता है, जिससे किडनी को आराम मिलता है। जिस तरह सुबह को काम करने और रात को सोने से सारी थकावट दूर हो जाती है उसी तरह जब किडनी को आराम मिलता है तो धीरे-धीरे किडनी के सारे सेल्स नए बनने लगते हैं जिससे किडनी फिर से अपना काम ठीक तरह से करने लगती है।

प्राकृतिक तरीके से नैचुरल डाईट द्वारा शरीर का वेस्ट-प्रोडेक्ट बाहर निकालने से रोग धीरे-धीरे सही हो जाता है।

हार्मोन्स बनाने वाली ग्रंथि में खराबी आई हो तो उसे नैचुरल डाईट से ठीक किया जा सकता है और इसके साथ ही योग के द्वारा पुराने सेल्सों को भी नए बनाए जा सकते हैं।

रसाहार- सब्जियों के रस (वैजिटेबल जूस) को रसाहार कहा जाता है लेकिन रस की तुलना में सब्जियों में मिनरल्स अधिक मात्रा में पाए जाते हैं इसलिए जिन व्यक्तियों के शरीर में मिनरल्स की कमी हो जाती है उन्हे इसकी पूर्ति के लिए आमतौर पर सब्जियों का रस ही दिया जाता है। अब सवाल यह उठता है कि सब्जियों का जूस लेना अच्छा है या उन्हे खाना अच्छा है। इसका जवाब यही है कि इन्हे खाना अच्छा है लेकिन फिर भी रोगियों आदि को जूस दिया जाता है क्यों ? ऐसा इसलिए होता है कि मान लीजिए आपने उपवास किया है और आपको फल का जूस पीने के लिए दिया जाता है लेकिन आपका मन जूस पीने का नहीं है तो आपको उस स्थिति में जूस के स्थान पर अधिक मात्रा में फल का सेवन करना पड़ेगा।

उदाहरण- किसी व्यक्ति को एसीडिटी की प्रॉब्लम है और डॉक्टर ने उसे गाजर के जूस का सेवन करने के लिए कहा है लेकिन उसे अगर गाजर के जूस के स्थान पर गाजर खाने को दी जाए तो वह कितनी गाजर खा पाएगा। इसलिए ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति को गाजर का जूस ही दिया जाएगा। इसी तरह उपवास में या शरीर की आंतरिक सफाई करने के लिए जूस पीना ज्यादा अच्छा है क्योंकि जूस शरीर की सारी गंदगी को निचोड़कर बाहर निकाल देता है। यदि कोई व्यक्ति अपना स्वास्थ्य अच्छा रखने के लिए उपवास रखता है तो उसे हर एक-एक घंटे के बाद नींबू पानी, नींबू-शहद-पानी, सब्जियों का रस या फलों का रस देना चाहिए। इससे उस व्यक्ति को एनर्जी मिलने के साथ ही भूख भी महसूस नहीं होगी। उसके शरीर में पानी की कमी दूर होगी और अगले दिन तक शरीर पूर्ण रूप से साफ हो जाएगा।

रसाहार के दौरान कई व्यक्तियों की शिकायत रहती है कि इसका सेवन करने के काल में मुझे गैस की प्रॉब्लम महसूस होने लग गई है ऐसा क्यों ? ऐसा इसलिए होता है कि हम लोग रसाहार को अक्सर एक ही सांस में या जल्दी से पी जाते हैं जो कि गलत है। रस को हमेशा चायकी तरह आराम-आराम से पीना चाहिए इससे यह आसानी से डाइजेस्ट हो जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जूस में मौजूद स्टार्च यहीं पर ग्लूकोज में बदल जाता है। उदाहरण- संतरे का रस मुंह में रखते ही खट्टा लगने लगता है लेकिन थोड़ी देर तक उसे मुंह में रखने से वह रस मीठा लगने लगता है क्योंकि तब तक उसका स्टार्च ग्लूकोज में बदल चुका होता है।

रस को हमेशा ताजा-ताजा ही पीना चाहिए क्योंकि ज्यादा देर तक रखने से यह खराब हो जाता है।

कुछ लोग रस का स्वाद बढ़ाने के लिए उसमें चीनी यानमक मिला लेते हैं जो कि स्वास्थ्य के लिए किसी भी तरह से अच्छा नहीं है। इसलिए रस को हमेशा बिना कुछ मिलाए ही सेवन करना चाहिए।

भोजन बनाने में सावधानी- आमतौर पर हम जबभोजन तैयार करते हैं तो उस दौरान बहुत सी गलतियां करते हैं। जैसे आटा गूंथने से पहले उसे छान लिया जाता है जिससे उसमें मौजूद चोकर भी बाहर निकल जाता है जो कि सही नहीं है- आटे से कंकर, पत्थर या अन्य चीजें निकाल दें लेकिन चोकर न निकालें क्योंकि चोकर में फाइबर और विटामिन दोनों मौजूद होते हैं जो अच्छे स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। चावल भी बिना पॉलिस वाला खाएं क्योंकि पॉलिस किए हुए चावल से सारे विटामिन निकल जाते हैं। इसके बाद सबसे जरूरी चीज है- तेल और चिकनाई।

चिकनाई बहुत जल्द बॉडी में जमा होने लगती है और बढ़ती ही जाती है। W.H.O वर्ल्ड हैल्थ ऑर्गेनाइजेशन में भी कहा गया है कि पके हुए तेल या चिकनाई को एक बार से ज्यादा नहीं प्रयोग करना चाहिए। लेकिन हम क्या करते हैं कि जब कोई चीज तेल में पकाते हैं और पकाने के बाद जो तेल बच जाता है उस बचे तेल को रख लेते हैं। दूसरी बार कोई चीज पकानी होती है तो उसे इसी बचे तेल में पकाते हैं। इससे क्या होता है कि तेल में पॉयजन बनता रहता है जो कि स्वास्थ्य के लिए बहुत ही नुकसानदायक होता है। आपने देखा होगा कि बाजार के पकौड़े खाने के बाद अक्सर एसीडिटी की प्रॉब्लम हो जाती है, पेट खराब हो जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वह लोग एक ही तेल को बार-बार प्रयोग में लाते रहते हैं।

रेशेदार भोजन, फाईबर फूड- नैचुरल भोजन में भरपूर मात्रा में फाईबर होता है और हम जितना फाईबर फूड लेंगे, हमारी आंतें उतनी ही साफ रहेंगी, पाचन शक्ति ठीक रहेगी, शौच खुलकर आएगी और शरीर स्वस्थ रहेगा।

फाईबर फूड में क्या-क्या आता है? इसमें सबसे पहले आता है दूध। आज के समय में जब तक बच्चा मां का दूध पीता है तब तक उसके लिए सही है क्योंकि आज दूध में मिलावट बहुत है। अपने सामने दूध निकलवाने के बाद भी शुद्ध दूध की गारंटी नहीं होती क्योंकि गाय या भैंस को ऑक्सीकरण के लिए इंजेक्शन लगाया जाता है और दूसरा उसके चारे में कैमिकल डाला जाता है ताकि वह दूध ज्यादा दे। अब मिलावटी दूध से बचने के लिए क्या करें? इसके लिए आप अपना अल्टर्नेटिव वैजिटेरियन दूध बना सकते हैं।

सफेद तिल, सोयाबीन, मूंगफली, नारियल, बादाम औरकाजू आदि किसी का भी आप दूध बना सकते है। इसके लिए दूध बनाने का सिम्पल सा तरीका है- कच्चा नारियल लेकर मिक्सी में पीस लें, फिर उसका पेस्ट बनाकर उसमें गर्म या ठंडा पानी डालकर छान लें, बस तैयार हो गया नारियल का दूध। यह दूध इतना हल्का होता है जैसे- गाय का दूध। इस दूध को बूढ़े, बच्चे, जवान कोई भी पी सकता है। इसमें जितना पेस्ट हो उसका आठ गुणा पानी मिलाएं। सोयाबीन का भी दूध बना सकते हैं। सोयाबीन को बारह घंटे पानी में भिगो दें, इसके बाद उसे मिक्सी में पीस लें और उसमें गर्म या ठंडा पानी डालकर, छानकर प्रयोग करें। इस दूध में बेस्ट क्वालिटी का प्रोटीन होता है।

यह हार्ट पेसेंट अर्थात ह्रदय रोगियों के लिए बहुत बढ़िया माना जाता है साथ ही डाइबिटीज वालों के लिए भी यह लाभकारी है। कैल्शियम की कमी होने पर सफेद तिलका दूध पीना चाहिए। सफेद तिल को बारह घंटे तक पानी में भिगोकर, मिक्सी में पीसकर उसमें गर्म-ठंडा पानी डालकर दूध बनाकर लें। मूंगफली को पानी में भिगोकर मिक्सी में पीसकर गर्म या ठंडा पानी डालकर व छानकर प्रयोग करें। इस दूध में भैंस के दूध जैसे गुणों होते हैं। इसमें फैट्स, प्रोटीन और कैल्शियम तीनों चीजें पाई जाती है। सोयाबीन में प्रोटीन ज्यादा है और सफेद तिल में कैल्शियम ज्यादा है। इसलिए अपनी आवश्यकतानुसार दूध बनाकर लें।

सोयाबीन से दही और पनीर दोनों बनाई जा सकती है। इसके लिए 12 घंटे तक सोयाबीन को पानी में भिगोकर मिक्सी में पीस लें और उसमें पानी डालकर उबाल लें। इसके बाद छानकर उसमें दही डालकर दही जमा लें। यदि केवल पीना है तो इसमें गर्म पानी मिलाकर छानकर पी सकते हैं लेकिन कुछ बनानी हो तो इसे उबालना जरूरी है।

ड्राईफ्रूट या अन्य सख्त चीजों को हमेशा भिगोकर ही खाना चाहिए। यदि ड्राईफ्रूट को बिना भिगोए खाते हैं तो उसको हजम करने के लिए आंतों को अधिक एनर्जी लगानी पड़ती है या जब तक वह पचने लायक मुलायम होता है तब तक शौच के रास्ते बाहर आ जाता है। इससे हमने जो ड्राईफ्रूट खाया था वह बिना पचे ही नष्ट हो गया और दूसरा उसको पचाने में आंतों को जो मेहनत करनी पड़ी वह भी बेकार गई। लेकिन यदि हम ड्राईफ्रूट को भिगो देते हैं तो वह मुलायम हो जाता है और उसे पचाने के लिए आंतों को अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ती। इससे शरीर में वेस्टप्रोडेक्ट भी नहीं बनता।

उदाहरण- काजू को कच्चा खाने में बहुत मजा आता है लेकिन इसके दो नुकसान भी हैं। एक तो इसमें कॉलेस्ट्राल होता है और दूसरा इसका प्रोटीन बहुत सख्त होता है जो आसानी से डाइजेस्ट नहीं होता। बादाम बिना भिगोए कितना भी चबाकर खा लें वह डाइजेस्ट नहीं होता। यदि ड्राईफ्रूट के स्थान पर रोस्टेड लेते हैं तो उसे चबाना तो आसान हो जाता है लेकिन उसका काफी हिस्सा डेड हो चुका होता है। इसके कारण इसका कोई फायदा नहीं होता। जब रोस्टेड को फ्राई करते हैं तो इसका काफी हिस्सा डेड हो जाता है और इसे पचाने में भी परेशानी होती है।

यदि हम कोई सख्त चीजें खाते हैं या ड्राईफूड खाते हैं तो इसका हमें दो प्रकार से नुकसान होता है अर्थात हमारी एनर्जी दो जगह वेस्ट (नष्ट) होती है- पहला यदि हम कोई सख्त चीज खाते हैं तो उसे पचाने के लिए आंतों को बहुत एनर्जी लगानी पड़ती है और दूसरा ठीक से डाइजेस्ट न होने के कारण उससे एनर्जी भी प्राप्त नहीं होती। इस तरह दोनों ही रूपों में सख्त चीज खाने से नुकसान ही है। यही चीज हमारी बॉडी के साथ भी है भोजन हम जितना पकाकर खाते हैं उससे हमारे बॉडी में वेस्ट (गंदगी) तो बढ़ती ही है और उस वेस्टेज को बाहर निकालने के लिए शरीर को जो एनर्जी लगानी पड़ती है वह भी व्यर्थ ही होती है।

जिस दिन फलाहार खाते हैं, हल्का भोजन करते हैं उस दिन आलस्य नहीं आता, शरीर में फुर्ती बनी रहती है, ताजगी बनी रहती है और जिस दिन आप गरिष्ट भोजन करते हैं आपको उस दिन आलस्य आता है। इसका कारण यह है कि जब हम गरिष्ठ भोजन अर्थात अधिक तला-भुना भोजन करते हैं तो शरीर की सारी एनर्जी उसे पचाने में लग जाती है और शरीर को उससे उतनी एनर्जी मिल नहीं पाती जिससे आलस्य और सुस्ती महसूस होती है।
कार्बोहाईड्रेट और प्रोटीन लेने का समय-कार्बोहाईड्रेट सुबह के समय लेना सबसे अच्छा माना जाता है क्योंकि पूरे दिन काम करने के लिए हमे एनर्जी की आवश्यकता होती है। यदि हम शाम के समय कार्बोहाईड्रेट लेते हैं तो लीवर पहले उसे स्टोर करेगा, इसके बाद ग्लूकोज को लाईकोडिन में बदलेगा और फिर दूसरे दिन लीवर उस लाईकोडिन को ग्लूकोज में बदलेगा। इस प्रक्रिया में हमारी काफी एनर्जी वेस्ट होगी और बेकार में लीवर का एक कार्य बढ़ जाएगा।

प्रोटीन शाम के समय लेना चाहिए क्योंकि दिनभर काम करने के दौरान शरीर के सेल्स डेड हो जाते हैं और रात के समय में नए सेल्स बन जाते हैं। यदि प्रोटीन सुबह लेते हैं तो वह भी शरीर में वेस्ट पड़ा रहेगा और ओवरडोज हो जाएगा।

इसलिए कार्बोहाईड्रेट सुबह और प्रोटीन शाम को लेना चाहिए। वैसे इसमें थोड़ा-बहुत आगे-पीछे चल सकता है जैसे- बादाम आदि को सुबह भिगोकर ले सकते हैं। हाई ब्लडप्रेशर वाले व्यक्तियों के लिए बादाम आदि भिगोकर लेना सही रहता है। वैसे उन्हें ड्राई, फ्राइड, रोस्टेड लेना ही नहीं चाहिए। बहुत से लोग फ्राइड की जगह पर रोस्टेड लेते हैं जो शरीर के लिए सही नहीं होता क्योंकि इसमें घी या कोलेस्ट्राल नहीं होता साथ ही पकने के बादपोषक तत्व भी बहुत कम हो जाते हैं। उदाहरण के लिए-चना।

आप यदि चने को भिगो दो तो उसमें अंकुर आ जाएगा, अर्थात यह जीवित भोजन है। लेकिन उसी को भून लो फिर कितना भी पानी डालों उसमें अंकुर नहीं फूट सकता क्योंकि उसका बहुत सारा हिस्सा नष्ट हो गया होता है और केवल थोड़ा-बहुत न्यूट्रिशन बचता है। ऐसे में यदि हम खा ही रहे हैं तो हम पूरा न्यूट्रिशन क्यों खाएं, हम वेस्टप्रोडेक्ट को शरीर में क्यों बनने दें जिसे निकालने के लिए अनावश्यक एनर्जी भी लगानी पड़े।

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Weight Loss

if you take in 1,050 to 1,200 calories a day, and exercise for one hour per day, you could lose 3-5 pounds in the first week, or more if you weigh more than 250 pounds.

Healthy Life

For a Healthy Life You Must Need to quit smoking, be physically active everyday, eating healthy foods, limit alcohol, get enough sleep.

Reduce stress

Rough day at the office? Take a walk or head to the gym for a quick workout. One of the most common mental benefits of exercise is stress relief. Working up a sweat can help manage physical and mental stress.

Improve self-confidence

Hop on the treadmill to look (and more importantly, feel) like a million bucks. On a very basic level, physical fitness can boost self-esteem and improve positive self-image.

Boost brainpower

Those buff lab rats might be smarter than we think. Various studies on mice and men have shown that cardiovascular exercise can create new brain cells (aka neurogenesis) and improve overall brain performance.

Increase relaxation

Ever hit the hay after a long run or weight session at the gym? For some, a moderate workout can be the equivalent of a sleeping pill, even for people with insomnia.

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