परिचय :
आंखों का लाल होना, आंखों में कुछ अटका हुआ महसूस होना और दर्द होना ही इस रोग के मुख्य लक्षण हैं। इस रोग में आंखों को खोलने से भी दर्द होता है। आंखों पर ज्यादा रोशनी पड़ने से या ज्यादा बोझ डालने से दर्द और बढ़ जाता है। इस रोग के बढ़ने से आंखों से पानी निकलने लगता है और गाढ़ा-गाढ़ा
आंखों का लाल होना, आंखों में कुछ अटका हुआ महसूस होना और दर्द होना ही इस रोग के मुख्य लक्षण हैं।पदार्थ भी निकलता है जिसे गीढ़ (कीचड़) कहते हैं। यह कीचड़ रात में ज्यादा निकलने से पलकें चिपक जाती हैं।
कारण :
छोटे बच्चे आंखों के रोग की बीमारी से ज्यादा पीड़ित होते हैं क्योंकि छोटे बच्चे धूप या किसी चीज की परवाह किये बिना देर तक खेलते रहते हैं चाहे सर्दी हो या गर्मी उन्हें किसी की परवाह नहीं होती है। इसी कारण से बाहर खेलते समय धूल-मिट्टी के कण आंखों में गिर जाने की वजह से आंखों में दर्द होता है और सूजन आ जाती है। वायु प्रदूषण से आंखों को बहुत नुकसान होता है। सड़क पर गाड़ियों के जहरीले धुंए से भी आंखों में विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न होते हैं। \n
लक्षण :
यह संक्रामक (छूने से फैलने वाला) रोग है यह एक बच्चे से दूसरे बच्चे में तेज गति से फैलता है। घर में किसी रोगी के तौलिए या रूमाल के इस्तेमाल से भी आंखों में रोग फैलता है। इस रोग में आंखों में सूजन आ जाती है और आंखें लाल हो जाती हैं। पलकों के किनारे पर कीचड़ दिखाई देता है। सूरज की रोशनी में रोगी बच्चे को आंखों को खोलने मे बहुत दर्द और जलन महसूस होती है जब कोई रोगी बच्चा रात को सोकर सुबह उठता है तो पूय (गीढ़, कीचड़) के कारण उसकी पलकें खुल नहीं पाती हैं और पलके पूय (गीढ़) से चिपक जाती हैं। आंखों में सूजन होने से बच्चे रात को सो नहीं पाते हैं। बच्चों को ऐसा लगता है कि आंखों में कुछ गिर गया है। रोगी को सिरदर्द भी होता है। आंखों के आगे अंधेरा फैलने लगता है।
विभिन्न औषधियों से उपचार:
1. शहद :
1 ग्राम पिसे हुए नमक को शहद में मिलाकर आंखों में सुबह-शाम लगाने से आंख आने की बीमारी में आराम मिलता है।
चंद्रोदय वर्ति (बत्ती) को पीसकर शहद के साथ आंखों में लगाने से आंखों के रोग दूर होते हैं।
सोना मक्खी को पीसकर और शहद में मिलाकर आंखों में सुबह-शाम लगाने से आंख आने के रोग में लाभ होता है।
2. जायफल : जायफल को पीसकर दूध में मिलाकर आंखों में सुबह-शाम लगाने से बीमारी में राहत मिलती है।
3. हल्दी :
10 ग्राम हल्दी को लगभग 200 मिलीलीटर पानी में उबालकर छान लें, इसे आंखों में बार-बार बूंदों की तरह डालने से आंखों का दर्द कम होता है। इससे आंखों में कीचड़ आना और आंखों का लाल होना आदि रोग समाप्त हो जाते हैं। इसके काढे़ में पीले रंग से रंगे हुए कपड़े का प्रयोग जब आंख आये तब करें। उस समय इस कपडे़ से आंखों को साफ करने से फायदा होता है।
हल्दी को अरहर की दाल में पकायें और छाया में सुखा लें उसे पानी में घिसकर, शाम होने से पहले ही दिन में 2 बार आंखों में जरूर लगायें। इससे झामर रोग, सफेद फूली और आंखों की लालिमा में लाभ होता है।
4. मुलहठी :
मुलहठी को पानी में डालकर रख दें। 2 घंटे के बाद उस पानी में रूई डुबोकर पलकों पर रखें। इससे आंखों की जलन और दर्द दूर हो जाता है।
आंख आने पर या आंखों के लाल होने के साथ पलकों में सूजन आने पर मुलहठी, रसौत और फिटकरी को एक साथ भूनकर आंखों पर लेप करने से बहुत आराम आता है।
5. धनिया : धनिये का काढ़ा तैयार करके अच्छी तरह से छान लें। अब इस काढ़े को बूंद-बूंद करके हर 2-3 घंटों में आंखों में डालें। इससे आंखों को आराम मिलता है। इस काढ़े को आंखों में डालने की शुरुआत करने से पहले आंखों में एक बूंद एरण्ड तेल (कैस्टर आयल) डाल लें। यह आंख आने और आंखों के दर्द की बहुत लाभकारी दवा है।
6. सत्यानाशी :
सत्यानाशी (पीले धतूरे) का दूध, गोघृत (गाय के घी) के साथ आंखों में लगाने से लाभ होता है। यह दूध हर समय नहीं मिलता इसलिए जब यह दूध मिले तो तब इस दूध को इकट्ठा करके सुखाकर रख लें। इसके बाद जरूरत पड़ने पर इसे गोघृत (गाय के घी) में मिलाकर काजल की तरह आंखों में लगाने से आंख आने का रोग दूर होता है।
सत्यानाशी (पीला धतूरा) का दूध निकालकर किसी सलाई की मदद से आंखों में लगाने से आंखों की सूजन और दर्द दूर होता है।
7. ममीरा : ममीरा को पीसकर पलकों पर लगाने से आंखों के सभी रोगों में लाभ होता है।
8. अर्कपुष्पी : आंख आने में अर्कपुष्पी (छरिवेल) की जड़ को पीसकर पलकों पर लेप करने से आंखों के रोगों में आराम मिलता है।
9. पाथरचूर :
पाथरचूर (पाषाण भेद की एक जाति पाथरचूर से अलग) का रस पलकों पर लगाने से आंखों से पानी बहने के समय का दर्द कम होता है।
पाथरचूर (सिलफड़ा) को पीसकर शहद में मिलाकर आंखों में लगाने से पूरा आराम मिलता है।
10. रसौत :
रसौत को पानी में घोलकर आंखों की पलकों पर लगाने से काफी लाभ होता है। नेत्राभिष्यन्द या आंख आने का रोग नया हो या पुराना इससे जरूर लाभ होगा। रसौत के घोल में अफीम, सेंधानमक और फिटकरी को मिलाकर भी लेप किया जा सकता है। \n
रसौत को घिसकर रात को सोते समय आंखों की पलकों पर लेप करने से लाभ होता है।
11. बेल : नेत्राभिष्यन्द या आंख आने पर लगभग 7 मिलीलीटर की मात्रा में बेल के पत्तों के रस को रोगी को सुबह-शाम पिलायें और उसके पत्तों का लेप बनाकर पलकों पर लगायें। इससे आंखों को आराम मिलता है।
12. सुहागा : आंख आने पर सुहागा और फिटकरी को एक साथ पानी में घोल बनाकर आंख को धोयें और बीच-बीच में बूंद-बूंद (आई ड्राप्स) की तरह प्रयोग करें। इससे बहुत जल्दी लाभ होता है।
13. बकरी का दूध : आंखों के लाल होने पर मोथा या नागरमोथा के फल को साफ करके बकरी के दूध में घिसकर आंखों में लगाने से आराम आता है।
14. चाकसू : नेत्राभिष्यन्द या आंख आने पर चाकसू के बीजों को गूंथे हुए आटे के अंदर रखकर गर्म राख में रख दें और बाद में निकालकर बीज के छिलके हटाकर बारीक चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 60 मिलीग्राम की मात्रा में आंखों में लगाने से पूययुक्त नेत्राभिष्यन्द या आंख आना ठीक हो जाता है। \n
15. फरहद :
आंख आने में फरहद की छाल को बारीक पीसकर पाउडर के रूप में पलकों पर लगाने से पूरा आराम मिलता है।
फरहद की खाल के अंदर के भाग पर घी लगाकर घी के दिये को जलाकर जमी राख को आंखों में काजल की तरह लगाने से आंखों के रोग दूर होते हैं। स्वस्थ आंखों में लगाने से आंखों में किसी भी प्रकार के रोग होने की संभावना ही नहीं रहती है।
16. वेदमुश्क के फूल : वेदमुश्क के फूलों के रस में कपड़ा भिगोकर आंखों पर रखने से नेत्राभिष्यन्द या आंख आना में लाभ होता है।
17. हरिद्रा : नेत्राभिष्यन्द (आंख आने) में घीकुआंर का रस और हरिद्रा अथवा एलुवा (मुसब्बर) और हरिद्रा मिलाकर पलकों पर लेप करने से लाभ होता है।
18. रक्त पुनर्नवा की जड़ : गदहपुरैना की जड़ (रक्त पुनर्नवा की जड़) को पीसकर शहद में मिलाकर रोजाना 2 से 3 बार आंखों में लगायें। इससे नेत्राभिष्यन्द (आंख आने) के रोग में आराम आता है।
19. अनन्तमूल : अनन्तमूल का दूध आंखों में डालने से नेत्राभिष्यन्द या आंख आना में लाभ होता है।
20. गुलाबजल :
आंखों को साफ करके गुलाब जल की बूंदें आंखों में डालने से आंखों के रोग समाप्त हो जाते हैं।
गुलाबजल आंखों में डालने से आंखों की जलन और किरकिरापन (आंखों में कुछ चुभना) भी दूर हो जाता है।
21. चमेली : नेत्राभिष्यन्द (आंख आने) पर कदम के रस में चमेली के फूलों को पीसकर पलकों पर लेप करने से रोगी को लाभ होता है।
22. अगस्त के फूल : अगस्त के फूल और पत्तों का रस नाक में डालने से आंखों में आराम आता है।
23. बेर : बेर की गुठली को पीसकर गर्म पानी से अच्छी तरह से छानकर आंखों में डालने से नेत्राभिष्यन्द और आंखों का दर्द ठीक हो जाता है।
24. निर्मली के बीज : निर्मली के बीजों को पानी के साथ पीसकर आंखों में लगाने से आंखों का लाल होना और नेत्राभिष्यन्द ठीक हो जाता है।
25. कुंगकु : 20 से 40 मिलीलीटर कुंगकु की छाल का काढ़ा सुबह-शाम सेवन करने से आंखों के कई रोगों में फायदा होता है।
26. बबूल : बबूल की पत्तियों को पीसकर टिकिया बना लें और रात के समय आंखों पर बांध लें सुबह उठने पर खोल लें। इससे आंखों का लाल होना और आंखों का दर्द आदि रोग दूर हो जायेंगे।
27. मक्खन : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा में स्वर्ण बसन्त मालती सुबह-शाम मक्खन-मिश्री के साथ सेवन करने से आंख आना, आंखों में कीचड़ जमना और आंखों की रोशनी कमजोर होना आदि रोग दूर होते हैं।
28. बोरिक एसिड पाउडर : बोरिक एसिड पाउडर को पानी में मिलाकर आंखों को कई बार साफ करने से आंखों के अंदर की पूय (मवाद) और धूल मिट्टी साफ हो जाती है।
29. मिश्री : लगभग 6 से 10 ग्राम महात्रिफला और मिश्री को घी में मिलाकर सुबह-शाम रोगी को देने से गर्मी के कारण आंखों में जलन, आंखें ज्यादा लाल हो जाना, आंखों की पलकों का सूज जाना और रोशनी की ओर देखने से आंखों में जलन होना आदि रोग दूर होते हैं। इसके साथ ही त्रिफला के पानी से आंखों को धोने से भी आराम आता है।
30. फिटकरी : फिटकरी का टुकड़ा पानी में डुबोकर पानी की बूंदें आंखों में रोजाना 3 से 4 बार लगाने से लाभ मिलता है।
31. त्रिफला : 4 चम्मच त्रिफला का चूर्ण 1 गिलास पानी में भिगों दें। फिर उस पानी को अच्छी तरह से छानकर आंखों पर छींटे मारकर आंखों को दिन में 4 बार धोने से आंखों के रोगों में लाभ होता है।
32. बरगद : बरगद का दूध पैरों के नाखूनों में लगाने से आंख आना ठीक होता है।
33. दूध : मां के दूध की 1-2 बूंदे बच्चे की आंखों में डालने से आंखों के रोगों में लाभ होता है।
34. आंवला : आंवले का रस निकालकर उसे किसी कपडे़ में छानकर रख लें। इस रस को बूंद-बूंद करके आंखों में डालने से आंखों का लाल होना और आंखों की जलन दूर होती है।
35. गोक्षुर : गोक्षुर के हरे ताजे पत्तों को पीसकर पलकों पर बांधने से आंखों की सूजन और आंखों की लाली दूर होती है।
36. दूब : हरी दूब (घास) के रस में रूई के टुकड़े को भिगोकर पलकों पर रखने से आंख आना के रोग से छुटकारा मिलता है।
37. हरड़ : हरड़ को रात के समय पानी में डालकर रखें। सुबह उस पानी को कपड़े से छानकर आंखों को धोयें। इससे आंखों का लाल होना दूर होता है।
38. नीम :
नीम के पत्ते और मकोय का रस निकालकर पलकों पर लगाने से आंखों का लाल होना दूर होता है।
नीम के पानी से आंखें धोकर आंखों में गुलाबजल या फिटकरी का पानी डालें।
39. अडूसा : अड़ूसा के ताजे फूलों को हल्का सा गर्म करके पलकों पर बांधने से आंखों के दर्द होने की बीमारी दूर होती है।
40. तगर : तगर के पत्तों को पीसकर आंखों के बाहरी हिस्सों में लेप करने से आंखों का दर्द बन्द हो जाता है।
41. बथुआ : आंखों की सूजन होने पर रोज बथुए की सब्जी खाने से लाभ होता है।
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आंखों का लाल होना, आंखों में कुछ अटका हुआ महसूस होना और दर्द होना ही इस रोग के मुख्य लक्षण हैं। इस रोग में आंखों को खोलने से भी दर्द होता है। आंखों पर ज्यादा रोशनी पड़ने से या ज्यादा बोझ डालने से दर्द और बढ़ जाता है। इस रोग के बढ़ने से आंखों से पानी निकलने लगता है और गाढ़ा-गाढ़ा
आंखों का लाल होना, आंखों में कुछ अटका हुआ महसूस होना और दर्द होना ही इस रोग के मुख्य लक्षण हैं।पदार्थ भी निकलता है जिसे गीढ़ (कीचड़) कहते हैं। यह कीचड़ रात में ज्यादा निकलने से पलकें चिपक जाती हैं।
कारण :
छोटे बच्चे आंखों के रोग की बीमारी से ज्यादा पीड़ित होते हैं क्योंकि छोटे बच्चे धूप या किसी चीज की परवाह किये बिना देर तक खेलते रहते हैं चाहे सर्दी हो या गर्मी उन्हें किसी की परवाह नहीं होती है। इसी कारण से बाहर खेलते समय धूल-मिट्टी के कण आंखों में गिर जाने की वजह से आंखों में दर्द होता है और सूजन आ जाती है। वायु प्रदूषण से आंखों को बहुत नुकसान होता है। सड़क पर गाड़ियों के जहरीले धुंए से भी आंखों में विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न होते हैं। \n
लक्षण :
यह संक्रामक (छूने से फैलने वाला) रोग है यह एक बच्चे से दूसरे बच्चे में तेज गति से फैलता है। घर में किसी रोगी के तौलिए या रूमाल के इस्तेमाल से भी आंखों में रोग फैलता है। इस रोग में आंखों में सूजन आ जाती है और आंखें लाल हो जाती हैं। पलकों के किनारे पर कीचड़ दिखाई देता है। सूरज की रोशनी में रोगी बच्चे को आंखों को खोलने मे बहुत दर्द और जलन महसूस होती है जब कोई रोगी बच्चा रात को सोकर सुबह उठता है तो पूय (गीढ़, कीचड़) के कारण उसकी पलकें खुल नहीं पाती हैं और पलके पूय (गीढ़) से चिपक जाती हैं। आंखों में सूजन होने से बच्चे रात को सो नहीं पाते हैं। बच्चों को ऐसा लगता है कि आंखों में कुछ गिर गया है। रोगी को सिरदर्द भी होता है। आंखों के आगे अंधेरा फैलने लगता है।
विभिन्न औषधियों से उपचार:
1. शहद :
1 ग्राम पिसे हुए नमक को शहद में मिलाकर आंखों में सुबह-शाम लगाने से आंख आने की बीमारी में आराम मिलता है।
चंद्रोदय वर्ति (बत्ती) को पीसकर शहद के साथ आंखों में लगाने से आंखों के रोग दूर होते हैं।
सोना मक्खी को पीसकर और शहद में मिलाकर आंखों में सुबह-शाम लगाने से आंख आने के रोग में लाभ होता है।
2. जायफल : जायफल को पीसकर दूध में मिलाकर आंखों में सुबह-शाम लगाने से बीमारी में राहत मिलती है।
3. हल्दी :
10 ग्राम हल्दी को लगभग 200 मिलीलीटर पानी में उबालकर छान लें, इसे आंखों में बार-बार बूंदों की तरह डालने से आंखों का दर्द कम होता है। इससे आंखों में कीचड़ आना और आंखों का लाल होना आदि रोग समाप्त हो जाते हैं। इसके काढे़ में पीले रंग से रंगे हुए कपड़े का प्रयोग जब आंख आये तब करें। उस समय इस कपडे़ से आंखों को साफ करने से फायदा होता है।
हल्दी को अरहर की दाल में पकायें और छाया में सुखा लें उसे पानी में घिसकर, शाम होने से पहले ही दिन में 2 बार आंखों में जरूर लगायें। इससे झामर रोग, सफेद फूली और आंखों की लालिमा में लाभ होता है।
4. मुलहठी :
मुलहठी को पानी में डालकर रख दें। 2 घंटे के बाद उस पानी में रूई डुबोकर पलकों पर रखें। इससे आंखों की जलन और दर्द दूर हो जाता है।
आंख आने पर या आंखों के लाल होने के साथ पलकों में सूजन आने पर मुलहठी, रसौत और फिटकरी को एक साथ भूनकर आंखों पर लेप करने से बहुत आराम आता है।
5. धनिया : धनिये का काढ़ा तैयार करके अच्छी तरह से छान लें। अब इस काढ़े को बूंद-बूंद करके हर 2-3 घंटों में आंखों में डालें। इससे आंखों को आराम मिलता है। इस काढ़े को आंखों में डालने की शुरुआत करने से पहले आंखों में एक बूंद एरण्ड तेल (कैस्टर आयल) डाल लें। यह आंख आने और आंखों के दर्द की बहुत लाभकारी दवा है।
6. सत्यानाशी :
सत्यानाशी (पीले धतूरे) का दूध, गोघृत (गाय के घी) के साथ आंखों में लगाने से लाभ होता है। यह दूध हर समय नहीं मिलता इसलिए जब यह दूध मिले तो तब इस दूध को इकट्ठा करके सुखाकर रख लें। इसके बाद जरूरत पड़ने पर इसे गोघृत (गाय के घी) में मिलाकर काजल की तरह आंखों में लगाने से आंख आने का रोग दूर होता है।
सत्यानाशी (पीला धतूरा) का दूध निकालकर किसी सलाई की मदद से आंखों में लगाने से आंखों की सूजन और दर्द दूर होता है।
7. ममीरा : ममीरा को पीसकर पलकों पर लगाने से आंखों के सभी रोगों में लाभ होता है।
8. अर्कपुष्पी : आंख आने में अर्कपुष्पी (छरिवेल) की जड़ को पीसकर पलकों पर लेप करने से आंखों के रोगों में आराम मिलता है।
9. पाथरचूर :
पाथरचूर (पाषाण भेद की एक जाति पाथरचूर से अलग) का रस पलकों पर लगाने से आंखों से पानी बहने के समय का दर्द कम होता है।
पाथरचूर (सिलफड़ा) को पीसकर शहद में मिलाकर आंखों में लगाने से पूरा आराम मिलता है।
10. रसौत :
रसौत को पानी में घोलकर आंखों की पलकों पर लगाने से काफी लाभ होता है। नेत्राभिष्यन्द या आंख आने का रोग नया हो या पुराना इससे जरूर लाभ होगा। रसौत के घोल में अफीम, सेंधानमक और फिटकरी को मिलाकर भी लेप किया जा सकता है। \n
रसौत को घिसकर रात को सोते समय आंखों की पलकों पर लेप करने से लाभ होता है।
11. बेल : नेत्राभिष्यन्द या आंख आने पर लगभग 7 मिलीलीटर की मात्रा में बेल के पत्तों के रस को रोगी को सुबह-शाम पिलायें और उसके पत्तों का लेप बनाकर पलकों पर लगायें। इससे आंखों को आराम मिलता है।
12. सुहागा : आंख आने पर सुहागा और फिटकरी को एक साथ पानी में घोल बनाकर आंख को धोयें और बीच-बीच में बूंद-बूंद (आई ड्राप्स) की तरह प्रयोग करें। इससे बहुत जल्दी लाभ होता है।
13. बकरी का दूध : आंखों के लाल होने पर मोथा या नागरमोथा के फल को साफ करके बकरी के दूध में घिसकर आंखों में लगाने से आराम आता है।
14. चाकसू : नेत्राभिष्यन्द या आंख आने पर चाकसू के बीजों को गूंथे हुए आटे के अंदर रखकर गर्म राख में रख दें और बाद में निकालकर बीज के छिलके हटाकर बारीक चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 60 मिलीग्राम की मात्रा में आंखों में लगाने से पूययुक्त नेत्राभिष्यन्द या आंख आना ठीक हो जाता है। \n
15. फरहद :
आंख आने में फरहद की छाल को बारीक पीसकर पाउडर के रूप में पलकों पर लगाने से पूरा आराम मिलता है।
फरहद की खाल के अंदर के भाग पर घी लगाकर घी के दिये को जलाकर जमी राख को आंखों में काजल की तरह लगाने से आंखों के रोग दूर होते हैं। स्वस्थ आंखों में लगाने से आंखों में किसी भी प्रकार के रोग होने की संभावना ही नहीं रहती है।
16. वेदमुश्क के फूल : वेदमुश्क के फूलों के रस में कपड़ा भिगोकर आंखों पर रखने से नेत्राभिष्यन्द या आंख आना में लाभ होता है।
17. हरिद्रा : नेत्राभिष्यन्द (आंख आने) में घीकुआंर का रस और हरिद्रा अथवा एलुवा (मुसब्बर) और हरिद्रा मिलाकर पलकों पर लेप करने से लाभ होता है।
18. रक्त पुनर्नवा की जड़ : गदहपुरैना की जड़ (रक्त पुनर्नवा की जड़) को पीसकर शहद में मिलाकर रोजाना 2 से 3 बार आंखों में लगायें। इससे नेत्राभिष्यन्द (आंख आने) के रोग में आराम आता है।
19. अनन्तमूल : अनन्तमूल का दूध आंखों में डालने से नेत्राभिष्यन्द या आंख आना में लाभ होता है।
20. गुलाबजल :
आंखों को साफ करके गुलाब जल की बूंदें आंखों में डालने से आंखों के रोग समाप्त हो जाते हैं।
गुलाबजल आंखों में डालने से आंखों की जलन और किरकिरापन (आंखों में कुछ चुभना) भी दूर हो जाता है।
21. चमेली : नेत्राभिष्यन्द (आंख आने) पर कदम के रस में चमेली के फूलों को पीसकर पलकों पर लेप करने से रोगी को लाभ होता है।
22. अगस्त के फूल : अगस्त के फूल और पत्तों का रस नाक में डालने से आंखों में आराम आता है।
23. बेर : बेर की गुठली को पीसकर गर्म पानी से अच्छी तरह से छानकर आंखों में डालने से नेत्राभिष्यन्द और आंखों का दर्द ठीक हो जाता है।
24. निर्मली के बीज : निर्मली के बीजों को पानी के साथ पीसकर आंखों में लगाने से आंखों का लाल होना और नेत्राभिष्यन्द ठीक हो जाता है।
25. कुंगकु : 20 से 40 मिलीलीटर कुंगकु की छाल का काढ़ा सुबह-शाम सेवन करने से आंखों के कई रोगों में फायदा होता है।
26. बबूल : बबूल की पत्तियों को पीसकर टिकिया बना लें और रात के समय आंखों पर बांध लें सुबह उठने पर खोल लें। इससे आंखों का लाल होना और आंखों का दर्द आदि रोग दूर हो जायेंगे।
27. मक्खन : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा में स्वर्ण बसन्त मालती सुबह-शाम मक्खन-मिश्री के साथ सेवन करने से आंख आना, आंखों में कीचड़ जमना और आंखों की रोशनी कमजोर होना आदि रोग दूर होते हैं।
28. बोरिक एसिड पाउडर : बोरिक एसिड पाउडर को पानी में मिलाकर आंखों को कई बार साफ करने से आंखों के अंदर की पूय (मवाद) और धूल मिट्टी साफ हो जाती है।
29. मिश्री : लगभग 6 से 10 ग्राम महात्रिफला और मिश्री को घी में मिलाकर सुबह-शाम रोगी को देने से गर्मी के कारण आंखों में जलन, आंखें ज्यादा लाल हो जाना, आंखों की पलकों का सूज जाना और रोशनी की ओर देखने से आंखों में जलन होना आदि रोग दूर होते हैं। इसके साथ ही त्रिफला के पानी से आंखों को धोने से भी आराम आता है।
30. फिटकरी : फिटकरी का टुकड़ा पानी में डुबोकर पानी की बूंदें आंखों में रोजाना 3 से 4 बार लगाने से लाभ मिलता है।
31. त्रिफला : 4 चम्मच त्रिफला का चूर्ण 1 गिलास पानी में भिगों दें। फिर उस पानी को अच्छी तरह से छानकर आंखों पर छींटे मारकर आंखों को दिन में 4 बार धोने से आंखों के रोगों में लाभ होता है।
32. बरगद : बरगद का दूध पैरों के नाखूनों में लगाने से आंख आना ठीक होता है।
33. दूध : मां के दूध की 1-2 बूंदे बच्चे की आंखों में डालने से आंखों के रोगों में लाभ होता है।
34. आंवला : आंवले का रस निकालकर उसे किसी कपडे़ में छानकर रख लें। इस रस को बूंद-बूंद करके आंखों में डालने से आंखों का लाल होना और आंखों की जलन दूर होती है।
35. गोक्षुर : गोक्षुर के हरे ताजे पत्तों को पीसकर पलकों पर बांधने से आंखों की सूजन और आंखों की लाली दूर होती है।
36. दूब : हरी दूब (घास) के रस में रूई के टुकड़े को भिगोकर पलकों पर रखने से आंख आना के रोग से छुटकारा मिलता है।
37. हरड़ : हरड़ को रात के समय पानी में डालकर रखें। सुबह उस पानी को कपड़े से छानकर आंखों को धोयें। इससे आंखों का लाल होना दूर होता है।
38. नीम :
नीम के पत्ते और मकोय का रस निकालकर पलकों पर लगाने से आंखों का लाल होना दूर होता है।
नीम के पानी से आंखें धोकर आंखों में गुलाबजल या फिटकरी का पानी डालें।
39. अडूसा : अड़ूसा के ताजे फूलों को हल्का सा गर्म करके पलकों पर बांधने से आंखों के दर्द होने की बीमारी दूर होती है।
40. तगर : तगर के पत्तों को पीसकर आंखों के बाहरी हिस्सों में लेप करने से आंखों का दर्द बन्द हो जाता है।
41. बथुआ : आंखों की सूजन होने पर रोज बथुए की सब्जी खाने से लाभ होता है।
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